पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता

जितनी ऊंची चढ़ाई उतनी ही गहरी खाई,
पर भगतो न गबरना है माँ की चिठ्ठी आई,
डरने की क्या दरकार, संग है मइयां का प्यार,
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता,

देखे है दरबार अनेको माँ की बात निराली है,
लौटा न कोई भी बच्चा माँ के दर से खाली है,
लेके पूरा परिवार माँ आया तेरे दवार,
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता..

हर्ष है हम भक्तो के दिल में माँ से मिलने जाये गे,
गले लगाए गई मइयां और दर्शन माँ के पाएंगे,
सब मिल बोले जयकार है पावन ये दरबार ,
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता..

इतना लम्बा रास्ता मइयां पैदल क्यों न चला जाये,
छाले पड़ गए पाँव में पर मइयां तू न नजर आये,
ले कनियाँ का अवतार माँ ले चल अपने द्वार,
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता.....

मैया के दरबार में देखो छोटा है ना कोई बड़ा,
हर कोई अपना शीश झुकाये मैया के चरणों में खड़ा,
माँ करती न इंकार चेतन पे लुटावे प्यार,
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता..
download bhajan lyrics (1023 downloads)