साई सूफी पोएट्री रिहा करदो साई आशीष

रिहा करदो पंछी को पिंजरे से,
सैलाब में जान भी बच सकती है, सहारा ए कतरे से,

मुश्किल घड़ी में किसी के काम आओ तुम,
इबादत में लिखेगा नाम, जिसकी जान बचाई तुमने खतरे से,

कभी उन पन्नो पे भी जिल्द चढ़ा दो,
जो तुमने फटे पन्ने देखे अभी है बिखरे से,

मायूस चेहरे पे कभी ख़ुशी की वजह बनो,
साईआशीष से बेरंग चहरे भी दिखे निखरे से,

उधर देखो उससे भी हौसला कही मिला,
जो चिराग बिना डरे जल रहा था अँधेरे से,

अभी वक्त तो सोच रेंगेगा या दौड़ेगा,
नेक मंज़िल की दौड़ है मौत के पहरे से,
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