तेरे चरणों में सर को, झुकाता रहू
तू बुलाता रहे और मैं, आता रहू
मैंने बचपन से तुझको ही जाना है
तेरा मेरा ये रिश्ता पुराना है
तुझे दिल की हकीकत सुनाता रहू
तू बुलाता रहे.....
तूने अपना बनाया ये एहसान है
तेरी किरपा से ही मेरी पहचान है
तेरे भक्तो से प्रेम बढाता रहू
तू बुलाता रहे....
"बिन्नू" कहता है प्रभु धन्यवाद तुझे
तुम बुलाया करो श्याम दर पे मुझे
यूँ ही तेरे तराने मैं गाता रहू
तू बुलाता रहे....