बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया

बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया,

शरद भाव दिखा देने जो लड्डू खाते छोटे छोटे,
जो काया में लौट गया ऊके संकट काटे जा मोटे गेर गेर मंदिर में बाबा घने मारते से सोटे
दुखिया ने खुशिया बांटे मने मेहंदीपुर में देख लिया,
बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया,

स्व पांच रुप्पे में बाबा काम करे लाखा सा,
प्रेत राज का आंगन देखे करदे काम सुरखा सा,
संकट जीते नाड तोड़ और तोड़ लावे से हाथा सा,
सब के दिल ने वो ढाँटे मने मेहंदीपुर में देख लिया,
बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया,

चकर लगा के स्वाधी के संकट केसी खेले गा,
जलेबी का भोग लगा दे घना कष्ट न जिले गा,
किरपा हो मेरे बाबा की अपनी शरण में ले ले गा,
बाबा किसे न डांटे मैंने मेहंदीपुर में देखलिया,
बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया,

सो दास भगत पे राजी से दुनिया के कष्ट मिटावे रे,
उसने देदो लाडू बाबा जो भी शरण में जावे से,
वो न बोले दुनिया कैसे दुनिया अंदाजा लगावे से,
सब अपना मतलब काटे मैंने मेहंदीपुर में देखलिया,
बाला जी संकट काटे म्हणे मेहंदीपुर में देख लिया,
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