छड़ी थोड़ न कोई भर ते भण्डार नाथ ने,
साड़ी चकती गरीबी बाबा बालक नाथ ने,
असि नंग लोका दे पीछे था था नक रगड़ोंदे रहे,
खैर किसे न पाई सी आसी रो रो दुःख सुनान्दे रहे,
सादे हंजू आके पुहंजे लोको आप नाथ ने,
साड़ी चकती गरीबी बाबा बालक नाथ ने,
आज गाड़ियां दे विच घूमदे है एह किरपा है सब बाबे दी,
हर साह नाल लाइये नाम उसदा ओह रेह्न्दा नाल साडे जी,
गुड़ी अम्बर चढाई साड़ी आप नाथ ने,
साड़ी चकती गरीबी बाबा बालक नाथ ने,
रिधिया सिधिया दा मालिक है ओह्दी नब्ज कोई न जान दा है,
सोनी पटी दा कहंदा है जो मन दा मौजा मन दा है ,
एथे स्वर्ग दिखाया साहनु आप नाथ ने,
साड़ी चकती गरीबी बाबा बालक नाथ ने,