एक गाय नित आय कर
देती दूध पिलाय
मगन होय पावस कर भारी
लुल लुल पूँछ हिलाय
साँझ ढले घर आय कर
नाही देती दूध
पाली जब निकालन बैठे
उछल के जावे कूद
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
हो...
अखंड ज्योत है अपार माया
श्याम देव की परबल छाया
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
श्याम..श्री श्याम..श्री श्याम...जय जय श्याम
पाली ने मन बात विचारी
गाय थी अच्छी और दुधारी
दूध क्यूँ नहीं हमको पिलावे
पास जाओ तो मारन आवे
इक दिन पीछा पाली कीन्हा
गाय ने दूध क्यूँ नहीं दीन्हा
गाय देव के पास गयी है
मगन होय कर खड़ी हुई है
दूध की धार थनो से बहती
पीती है क्या यहाँ की धरती
दूध नहीं धरती पर देखा
हे ईश्वर यह क्या है लेखा
जाट कुलारे जाट कहावे
नगरी में जा भेद बतावे
नर नारी चल बाँध कतारे
क्या लीला है सभी पुकारे
गाय दूध जहाँ देवती
भीड़ लगी अपार
धरती बीच में
है कोई माया
कहते सब नर नार
धरती को खोदन लगे
ध्वनि हुई बलवान
मेरा शीश है देव अवतारी
कृष्णा का ये वरदान
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
बोलो जी बोलो श्यामधनि की जय
खाटूवाले प्रभु की जय...
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