आए जो माँ के दरवार, पाए वो माता का प्यार
जीवन के कष्टों से छूटे हो जाए भवपार
मैया तुझसा है कोई कहाँ
है पर्वत पे मैया ने आसन जमाया,
अजब रूप ये माँ ने जग को दिखाया ।
जब सज गई लाल रंग में भवानी,
तिलक बीच माथे पे माँ ने सजाया,
अनूठे ढंग से सजी मेरी माँ ॥
आए जो माँ के दरवार...
बिना स्वार्थ जो माँ की सेवा में आया,
उसे मार्ग मैया ने अपना दिखाया ।
मैं भी हूँ सूनी डगर पे हे माता,
मेरे संग रहे अम्बिका तेरा साया,
हो तेरे आँचल में मेरा जहाँ ॥
आए जो माँ के दरवार...
मेरे मन में भी अपना आसन बनाओ,
यही है तमन्ना कि माँ वेगि आओ ।
तरसते हैं नैना मेरे अब दरश को,
हे जगजननी तुम रूप अपना दिखाओ,
कि मैया दौड़ी चली आ यहाँ ॥
आए जो माँ के दरवार...