बाबा मेरे खाटू वाले तू कर दे उजाले अँधेरे मन में,
कर करुणा मुझे अपनाले अन्दन जीवन में
बाबा ओ शीश के दानी मेहर बरसते हो,
सिमरन जो करे तेरा भव से तर जाते हो,
खाटू के श्याम धनी हो दुभिदा मिटाते हो,
जब जब भगतो ने पुकारा दौड़े ही आते,
हम शरण में आप की आये लगा लो चरनन में,
बाबा मेरे खाटू वाले तू कर दे उजाले अँधेरे मन में,
फागुन रुत ग्यारस की आये रात जगाने को.
आते लाखो नर नारी भोग लगाने को,
लगती है लम्भी कटारे झलक इक पाने को ,
कर दे के वध वंदना तुझको रिझाने,
सुख मिल जाता है जहां का कन्हियान तेरे दर पे,
बाबा मेरे खाटू वाले तू कर दे उजाले अँधेरे मन में,