निर्मोही नन्दलाल घणो तरसावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा भुलावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा........
मूलक मूलक कर दूर-दूर से नित की जिव जलावे,
एक बार तो निडे सी आकर क्यू ना बिण बजावे,
मेरे कालजे में आग लगावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा........
नैना बरसे विरही तरसे,तू तो सुध बिसराई,
बैरन नींद बड़ेरी राता कइया होव समाई,
कन्हैया छीजे काया जिव ने दुखावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा........
दुनिया हांसे नित की महासे चाले आड़ी-आड़ी
तू छिटका देवगो तो चालेगी नहीं गाड़ी
मोटा सेठिया तू रोल मचावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा........
दुःख हरता तू पालन करता सांचो श्याम बिहारी
काशीराम चरण को चेरो,अरज करे गिरधारी
थारो बालकियो हु प्रीतड़ी घटावे मतना
पुराणी यारी हे रे सांवरा........