दर्शन के लिये बाबा मे खाटु धाम आया हूँ

दोहा : दर दर भटक लिया तेरे प्यार के लिये, चुन चुन के फुल लाया हूँ तेरे हार के लिये
अब तारो या ना तारो ये मर्जी तुमारी है, लाखो की खाई ठोकरे तेरे हार के लिये

दर दर भटकता फिरा मे ठोकर बड़ी खाया हूँ
दर्शन के लिये बाबा में खाटु धाम आया हूँ

१ हारे का बाबा तुहि सहारा करी आज देरी बड़ी
हों चले आवो बाबा भवन से निकलकर मेरी नाव तूफा पड़ी
नहीं कोई जग मे हमारा तुम्हारे सिवा
दर्शन के लिये बाबा मे खाटु धाम आया हूँ

२ जग ने सताया है सब ने रुलाया है तुम मेरा संकट हरो
तुम दाता दानी नही तुमसा सानी तुम्ही आज झोली भरो
यही आज चौखट पे तेरी मैं मर जाऊँगा
दर्शन के लिये बाबा मे खाटु धाम आया हूँ

३ हो शीश का दानी अमर है कहानी कैसे मनाऊ तुम्हे
प्रेमी दीवाना हुआ आज पागल कैसे बताऊ तुम्हे
मुझे आज दर्शन दिखाना पड़ेगा यही
दर्शन के लिये बाबा मे खाटु धाम आया हूँ

दर दर भटकता फिरा मे ठोकर बड़ी खाया हूँ
दर्शन के लिये बाबा मे खाटु धाम आया हूँ
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