साँवली सुरतिया है मुख पर उजाला,
ऐसा अनोखा मेरा श्याम खाटू वाला लीले वाला
जो भी आया चरणों में उसको उबारा हो उबारा,
कजरारे चंचल नैनों में सूरज चांद का डेरा,
देख के इस पावन मूरत को होता जिसका सवेरा,
उसके जीवन की नैया को देता किनारा हो किनारा,
तीन बाण कांधे पर सोहे मोर छड़ी है न्यारी,
जिसके झाड़े से लाखों की किस्मत गई सँवारी,
लीले की असवारी करता मोरवी का लाला मुरलीवाला,
खाटू में दरबार लगाए कलयुग का अवतारी,
वीर बर्बरीक नाम है जिसका मां का आज्ञाकारी,
हारे का साथी है "गिरधर" देता सहारा हो सहारा,
शब्द रचना : गिरधर महाराज
गायक : गिरधर महाराज