इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,
इतना ध्यान रखे न कोई जितना तू मेरा रखता है,
इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,
दुनिया वालो ने मुझको जब ठोकर मारी गिराया था,
कोई नही था साथ में मेरे जब तुमने अपनाया था,
अब ना अकेला हु मैं पल पल साथ तू मेरे चलता है,
इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,
इस नालायक को सांवरियां तुम ने इतना प्यार दिया,
चोकठ के काबिल भी नही था तुम ने ये दरबार दियां,
चलते चलते जब गिर जाता तू ही बाह पकड़ ता है,
इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,
मीरा नरसी और सुदामा भगत तेरे कहलाते है
हम तेरे मतलब से बाबा तेरे दर पर आते है,
परदे देने में मुझको बाबा तू कमी नही रखता है,
इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,
तेरे उपकारों को बाबा कैसे भूल मैं पाउगा
है ये भरोसा अगले जन्म भी तेरा दास कहाऊगा
शिव तेरा ये दर न छुटे मन मेरा ये डरता है,
इक दिन पूछा श्याम से मैंने तू मेरा क्या लगता है,