कितने तेरे नाम सँवारे

कितने तेरे नाम सँवारे किस नाम से तुम्हे भुलाये,
अपने दिल की बात वनवारे जा कर किसे सुनाये,
मुझसे हो न जुड़ा तू जगत का पिता,
सुख दुःख की हर बात जा कर किसे सुनाये,

तू ही दातार है तू ही अवतार है इस ज़माने का तू लख दातार है,
तुमसे ही पल रहा सारा संसार है,
होती तेरी जगत में जय जय कार है,
तेरी किरपा रहे दिल से इतना कहे तुमसे बिछड़ने का गम हम भी सेह न पाए,
अपने दिल की बात वनवारे जा कर किसे सुनाये.....

प्रेम का रस सभी को पिलाते चलो अपनी रेहमत तुम यु ही लुटाते रहे,
तुम सा दानी नहीं इस ज़माने में श्याम सब को अपने गले से लगाते चलो,
इतना तुमसे कहे चरणों में हम रहे अपने दिल की बात तुम बिन किसे सुनाये,
कितने तेरे नाम सँवारे किस नाम से तुम्हे भुलाये....

जिस ने पकड़ा है दामन तुम्हारा ही श्याम,
मुस्कुराते सभी कर रहे तुम ही काम करके शृंगार बैठे हो तुम सँवारे,
उसके जीवन को देते तुम्ही सुबह शाम,
तेरी मर्जी बिना पता भी न हिला,
इस तन में जो प्राण तुम्ही से हमने पाए,
अपने दिल की बात वनवारे जा कर किसे सुनाये.....
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