कुछ पाने के खातिर तेरे दर

कुछ पाने के खातिर तेरे दर हम भी झोली फलाये हुए है,
यहाँ झोली सभी की है भरती इसलिए हम भी आये हुए है,

हो गुनागार जितना भी कोई हिसाब माँगा न तुमने किसी से,
तुमने ओलादे अपनी समज के सबके अवगुण छुपाये हुए है,

जिसपे हो जाये रहमत तुम्हारी मौत के मुह से उसको बचा लो,
तुमने लाखो हजारो के बड़े डूबने से बचाए हुए है,
कुछ पाने के खातिर तेरे .......

तुमने सबकुछ जहान में बनाया चाँद तारे जमीन असमान भी,
चलते फिरते ये माटी के पुतले तूने खूब सजाये हुए है,
कुछ पाने के खातिर तेरे
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